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Friday, November 29, 2013

सूर्य किरण चिकित्सा .....संकलन जगदीश रावल


सूर्य किरण चिकित्सा .....संकलन जगदीश रावल 

वैज्ञानिकों की मान्यता है कि विविध रंगों का मानव के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव पड़ता है और प्रत्येक रंग के अपने विशेष आरोग्यकारक गुण होते है। रंग असंतुलन अर्थात रंगों की कमी या अधिकता के कारण मनुष्य के शरीर में कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।



 सामान्य रूप से देखने पर सूर्य का प्रकाश सफेद ही दिखाई देता है पर वास्तव में वह सात रंगों का मिश्रण होता है। कांच के त्रिपार्श्व से सूर्य की किरणों को गुजारने पर दूसरी ओर इन सात रंगों को स्पष्ट देखा जा सकता है।

किसी विशेष रंग की कांच की बोतल में साधारण पानी, चीनी, मिश्री, घी, ग्लिसरीन आदि तीन-चौथाई भरकर सूर्य की किरणें दिखाने से या धूप में रखने से उस कांच द्वारा सूर्य के प्रकाश से उसी रंग की किरणों को ग्रहण किया जाता है और उसी रंग का तत्व और गुण पानी आदि वस्तु में उत्पन्न हो जाता है और वह सूर्यतप्त (सूर्य किरणों द्वारा चार्ज की गई वस्तु रोग-निवारण गुणों और स्वास्थ्यवर्धक तत्वों से युक्त हो जाती है। 


इन सूर्यतापित वस्तुओं के उचित भीतरी और बाहरी प्रयोग से मनुष्य के शरीर में रंगों का संतुलन कायम रखा जा सकता है और अनेक प्रकार के रोगों को सहज ही दूर किया जा सकता है। यही सूर्य किरण चिकित्सा है।

सूर्य की किरणों में सर्वरोगनाशक अद्भुत शक्ति है, यह बात हमारे ऋषि-मनीषी हजारों साल पहले अच्छी तरह जानते थे, परन्तु आधुनिक युग में सूर्य किरण चिकित्सा और रंग-चिकित्सा का अनुसंधान और विकास कार्य विदेशों में हुआ। अब 'सूर्य-किरण-चिकित्सा' भारत में भी निरंतर लोकप्रिय होती जा रही है।